इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है और कैसे करें? | Intermittent Fasting Benefits in Hindi

आजकल फिटनेस और हेल्दी लाइफस्टाइल की बात करें तो इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) का नाम सबसे पहले आता है। यह एक डाइट नहीं बल्कि खाने का एक तरीका है जिसमें खाने और उपवास (फास्टिंग) के समय को निर्धारित किया जाता है। यह न केवल वजन घटाने में मदद करता है, बल्कि मेटाबॉलिज़्म सुधारने और कई स्वास्थ्य लाभ भी देता है।

आइए विस्तार से जानते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है, इसे कैसे करें, इसके क्या लाभ हैं और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

इंटरमिटेंट फास्टिंग (IF) एक खाने की रणनीति है जिसमें आप एक निश्चित समय पर खाना खाते हैं और बाकी समय उपवास करते हैं। इसका मकसद शरीर को एक ब्रेक देना होता है ताकि वो पहले से मौजूद फैट को एनर्जी के रूप में इस्तेमाल कर सके।

अगर आप सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक खाते हैं और बाकी 16 घंटे उपवास करते हैं, तो इसे 16:8 इंटरमिटेंट फास्टिंग कहा जाता है।


• इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई पैटर्न हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार इनमें से किसी एक को चुन सकते हैं:


• 16 घंटे उपवास और 8 घंटे का खाना खाने का विंडो।

उदाहरण: दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक खाना और फिर अगले दिन 12 बजे तक उपवास।


• सप्ताह में 5 दिन सामान्य भोजन और 2 दिन (लगातार नहीं) कम कैलोरी का सेवन (500-600 कैलोरी)।


• हफ्ते में 1 या 2 दिन 24 घंटे उपवास।


• एक दिन खाना, एक दिन फास्टिंग।


• दिन में बहुत कम खाना और रात को एक बड़ा भोजन।

• शुरुआत के लिए 16:8 सबसे सरल और प्रभावी माना जाता है।



• इंटरमिटेंट फास्टिंग से कैलोरी की खपत घटती है और बॉडी फैट एनर्जी में बदलता है, जिससे वजन तेजी से घटता है।


फास्टिंग से शरीर की इंसुलिन सेंसिटिविटी बेहतर होती है, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है और टाइप-2 डायबिटीज़ का खतरा घटता है।


फास्टिंग से मेटाबॉलिक रेट बढ़ता है, जिससे शरीर अधिक फैट बर्न करता है।


फास्टिंग के दौरान ब्रेन हॉर्मोन बढ़ते हैं, जिससे मानसिक स्पष्टता, एकाग्रता और स्मरणशक्ति बेहतर होती है।


फास्टिंग से ग्रोथ हॉर्मोन और अन्य महत्वपूर्ण हार्मोन संतुलित रहते हैं, जो मसल्स बिल्डिंग और फैट लॉस में मदद करते हैं।


यह एक प्रक्रिया है जिसमें शरीर मृत या खराब सेल्स को खत्म कर नए सेल्स बनाता है। यह एंटी-एजिंग और कैंसर प्रिवेंशन में सहायक है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग करते समय क्या खाएं? (What to Eat During Eating Window?)

इंटरमिटेंट फास्टिंग कोई क्रैश डाइट नहीं है। खाने के समय पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें:


• फल और सब्जियां

• प्रोटीन रिच फूड (अंडा, दाल, चिकन, टोफू)

• हेल्दी फैट्स (नट्स, अवोकाडो, घी)

• साबुत अनाज (ब्राउन राइस, ओट्स)


• प्रोसेस्ड फूड

• जंक फूड

• शुगर और मीठे पेय पदार्थ


• पानी पिएं (अधिक मात्रा में)

• ब्लैक कॉफी या ग्रीन टी ले सकते हैं (बिना शक्कर के)

• कोई कैलोरी युक्त पेय या भोजन न लें


निम्नलिखित व्यक्तियों को डॉक्टर की सलाह के बिना इंटरमिटेंट फास्टिंग नहीं करनी चाहिए:

• गर्भवती महिलाएं

• स्तनपान कराने वाली माताएं

• मधुमेह या हाइपोग्लाइसीमिया के मरीज

• जो दवाइयों पर हैं या कोई मेडिकल कंडीशन है

इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान (Possible Side Effects)

• शुरुआती दिनों में चक्कर, कमजोरी या भूख लग सकती है

• कुछ लोगों को थकान महसूस हो सकती है

• अत्यधिक लंबा उपवास नुकसानदेह हो सकता है


👉 ये समस्याएं आमतौर पर कुछ दिनों बाद ठीक हो जाती हैं, लेकिन अगर कोई समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक शक्तिशाली तरीका है अपने शरीर को डिटॉक्स करने, वजन घटाने और स्वास्थ्य सुधारने का। इसे सही जानकारी और संतुलित खानपान के साथ अपनाने पर इसके फायदे आश्चर्यजनक हो सकते हैं।

यदि आप शुरुआत कर रहे हैं, तो धीरे-धीरे अपने समय को नियंत्रित करें और 16:8 मेथड से शुरुआत करें। संयम, धैर्य और नियमितता से आप इसके अद्भुत परिणाम पा सकते हैं।

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